जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं से संपन्न राज्य छत्तीसगढ़ सृष्टि का जन्म स्थल है । इस आशय का प्रतिपादन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ ने किया। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा 'छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं साहित्य' विषय पर आयोजित आभासी राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में वे मंतव्य दे रहे थे । डॉक्टर पाठक ने आगे कहा कि, छत्तीसगढ़ के शैल चित्र लाखो वर्ष पुराने हैं । छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर श्री रामचरित मानस का प्रभाव है ।प्रभु रामचंद्र जी का ननिहाल भी छत्तीसगढ़ है। विश्व का प्रथम रंगमंच छत्तीसगढ़ होते हुए, यहां का प्रधान उत्पादन धान है। विशेष अतिथि प्रोफेसर डॉ अनसूया अग्रवाल, महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति व परंपरा को विश्व में ख्याति प्राप्त है, जिसने जनमानस में प्रकृति के साथ सीधा और साधा नाता जोड़ा है। छत्तीसगढ़ की महिलाएं नदियों को अपना पीहर मानती हैं और अपने मन का सारा दुख दर्द उनके सामने उघाड़ कर रख देती हैं। विशिष्ट वक्ता डॉ. सरस्वती वर्मा महासमुंद, छत्त