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गौंड एवं उरांव जनजातीय कला के उत्कृष्ट कलाकारों का सम्मान किया गया

जनजातीय कला कार्यशाला 3 से 9 अप्रैल 2024 तक संपन्न, गौंड एवं उरांव चित्रकला का प्रशिक्षण दिया गया 

उज्जैन। कालिदास संस्कृत अकादमी  म. प्र. संस्कृति परिषद द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, उज्जैन के सहयोग से विद्यार्थी कलाकारों को देश की दो प्रमुख कला शैलियों का प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यशाला में गौंड शैली की कलाकार श्रीमती रजनी धुर्वे एवं श्रीमती गायत्री मरावी एवं उरांव शैली की जनजातीय कलाकार श्रीमती आग्नेश केरकेट्टा ने जनजातीय कला रूपों का गहन प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला के अंतिम दिन सभी कलाकारों के कार्य का अवलोकन किया गया। 

साथ ही प्रशिक्षकों और कलाकारों को प्रोत्साहन किया गया। समापन समारोह में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु अखिलेश कुमार पाण्डेय, विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शेलेंद्र कुमार शर्मा, कालिदास संस्कृत अकादेमी की उपनिदेशक डॉ योगेश्वरी फिरोजिया, ललित कला अध्ययनशाला के अध्यक्ष डॉ जगदीश चन्द्र शर्मा ने सम्बोधित किया। अतिथियों द्वारा गौंड शैली की कलाकार श्रीमती रजनी धुर्वे एवं श्रीमती गायत्री मरावी एवं उरांव शैली की जनजातीय कलाकार श्रीमती आग्नेश केरकेट्टा को शॉल, श्रीफल एवं साहित्य भेंट कर उनका सम्मान किया गया। 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि कलाकार निरन्तर नई दिशाओं में कला अध्ययन और सृजन कर्म करें। कला और संस्कृति उज्जैन सहित मालवा क्षेत्र की पहचान है। युवाओं के मध्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को लेकर गौरव का भाव जगाएँ।

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश लोक और जनजातीय कलाओं का उर्वर प्रदेश है। प्रागैतिहासिक काल से यह क्षेत्र कला और संस्कृति के प्रति समर्पित रहा है। उन्होंने मालवी दिवस की बधाई देते हुए कलाकारों से मालवा की भित्ति चित्र परम्परा से जुडने और नवसृजन का आह्वान किया।  

इस कला कार्यशाला में ललित कला, संगीत एवं नाट्य अघ्ययनशाला के अनेक विद्यार्थियों ने कार्य किया, जिनमें पंकज सेहरा, लक्ष्मी कुशवाह, नंदिनी प्रजापति, मुकुल सिंह, अक्षित शर्मा, जगबंधु महतो, जीत डे, नैसा खान,  अलका कुमारी, आदित्य चौहान, सलोनी परमार, चांदनी दिगरसे, अंशी शर्मा, प्रिंस परमार शामिल रहे।

इस शिविर में उज्जैन के कई कलाकरों ने सम्मिलित होकर संस्कृतिमय वातावरण में कला को जनजातीय कलाओं को अच्छे से जाना। कालिदास अकादमी में हुए इस आयोजन में वरिष्ठ चित्रकार श्री ब्रज खरे, श्री राधाकिशन वाडिया, डॉ विक्रांत शाह आदि सहित अनेक कलाकारों ने भाग लिया।

संचालन डॉ सन्दीप नागर ने किया। आभार प्रदर्शन प्रो जगदीश चंद्र शर्मा ने किया।

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