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विक्रम विश्वविद्यालय में यूजीसी के चेयरमैन प्रो जगदीश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस सम्पन्न

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विज़न को पूरा करने के लिए निरन्तर व्यापक प्रयास कर रहा है विश्वविद्यालय अनुदान आयोग – प्रो जगदीश कुमार 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में 2 फरवरी 2024 को एनईपी 2020 के संदर्भ में यूजीसी द्वारा गठित पांच क्षेत्रीय समितियों में से मध्य क्षेत्र की समिति द्वारा सेंट्रल जोन वाइस चांसलर्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को 29 जुलाई, 2020 में अधिसूचित किया गया था। तदनुसार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कई पहलों की शुरुआत की है, जिनमें अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, अकादमिक कार्यक्रमों में बहु प्रवेश और बहिर्वेशन (मल्‍टीपल एंट्री एण्ड एग्जिट), एकल-शाखा वाले एचईआई संस्थानों को बहु-विषयक शाखाओं वाले संस्थानों में परिवर्तित करना, संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सी यू ई टी), स्नातकपूर्व कार्यक्रमों के लिए पाठ्यचर्या और क्रेडिट फ्रेमवर्क, राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क, एक साथ दो अकादमिक कार्यक्रमों की पढ़ाई करना, दोहरी शिक्षा व्यवस्था, संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम प्रदान करने के लिए भारतीय और विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग, व्यावसायिक प्रोफेसर (professor of practice) की नियुक्ति, अप्रेंटिसशिप एंबेडेड डिग्री कार्यक्रम जैसी पहलें शामिल हैं।   

ये विचार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रो एम जगदीश कुमार ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यक्त किए। उन्होंने प्रेस एवं मीडिया जगत के वरिष्ठ जनों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। प्रारम्भ में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे नवाचारों की चर्चा करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। प्रारम्भ में अतिथि स्वागत कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया। इस अवसर पर यूजीसी नई दिल्ली के संयुक्त सचिव डॉ अविचल कपूर एवं कुलसचिव डॉ अनिल शर्मा सहित विभिन्न समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सम्पादक एवं वरिष्ठ पत्रकार उपस्थित थे। प्रेस वार्ता का संयोजन कुलानुशासक एवं आयोजन समिति के मुख्य समन्वयक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रो एम जगदीश कुमार ने प्रेस वार्ता में कहा कि यूजीसी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विज़न को पूरा करने के लिए सतत प्रयास कर रहा है और आयोग यह सुनिश्चित करता है कि उपरोक्त पहलों के लाभ महत्वाकांक्षी युवाओं के एक बड़े वर्ग तक समयबद्ध तरीके से पहुंचे। महत्त्वपूर्ण पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक रोड मैप विकसित करने में विश्वविद्यालयों को सुविधा प्रदान करने हेतु यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों और मानित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित पांच क्षेत्रीय समितियों का गठन किया है। 




क्षेत्रीय समिति के विचारार्थ विषय इस प्रकार हैं:

1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के विभिन्न प्रावधानों के बारे में क्षेत्र के प्रबंधन, शैक्षणिक, प्रशासनिक सदस्यों और अन्य हितधारकों के संदर्भ में जानकारी प्रदान करना और सुग्राह्य बनाना

2. एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के लिए कार्ययोजना और रणनीतियों को रूपरेखा देने में क्षेत्र में उच्चतर शिक्षा संस्थानों का मार्गदर्शन करना;

3. एनईपी, 2020 के विभिन्न प्रावधानों के समयबद्ध कार्यान्वयन में एचईआई का मार्गदर्शन करना और एचईआई में कोई भी समस्या के समाधान में सहायता प्रदान करना;

4. क्षेत्र में विभिन्न एचईआई द्वारा की गई प्रगति का प्रलेखीकरण और रिपोर्टिंग।

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सौजन्य से 2 फरवरी को राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। उक्त आयोजन में चर्चा करने के लिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के 270 से अधिक शासकीय एवं अशासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय  के स्वर्ण जयंती सभागृह में देश के विभिन्न भागों से आए शिक्षाविदों ने संक्रिय सहभागिता की। 

स्मरणीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में विक्रम विश्वविद्यालय की अग्रणी भूमिका रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में मध्यप्रदेश के तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की मुख्य भूमिका रही है। विश्वविद्यालय अंतरानुशासनिक अध्ययन, जल स्रोत संग्रहण, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण जैसे नवाचारी कार्य निरंतर कर रहा है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय क्षेत्रीय समिति के मध्य क्षेत्र के मुख्य समन्वयक हैं, जिसके चलते वे निरंतर एनईपी के सुव्यवस्थित क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देते हैं।

विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग 

राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर पहलें एवं पृष्‍ठभूमि नोट

1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रगति

1.1 पृष्ठभूमि:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की शुरुआत 29 जुलाई, 2020 को की गई थी।

एनईपी 2020 की घोषणा के बाद, भारतीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव आ रहे हैं। विभिन्न हितधारकों के बीच नीति के विवरणों को प्रसारित करने और उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

एनईपी 2020 की सिफारिशों पर विभिन्न हितधारकों यानीकेंद्र सरकार, राज्य/संघ राज्‍य क्षेत्रोंकी सरकारों, संकाय सदस्‍यों, छात्रों और बड़े पैमाने पर जनता के साथ विस्तार से चर्चा की गई है। व्यापक परामर्श प्रक्रियाके बादतथाएनईपी 2020 की अधिसूचना के पश्‍चातयूजीसी इस संबंध में कई पहलें करता आ रहा है।

यूजीसी द्वारा की गई निम्नलिखित सभी पहलें सभी राज्यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों पर लागू हैं जिन्हें नीचे वर्णित किया गया है:

1.2 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शुरु की गई पहलें:

1) एनईपी सारथी- भारत में उच्‍चतर शिक्षा में परिवर्तन लाने हेतु शैक्षणिक सुधार के लिए छात्र राजदूत

2) सभी राज्यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों को कवर करने वाली 5 क्षेत्रीय समितियों का गठन

3) एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट

4) शैक्षणिक कार्यक्रमों में बहु प्रवेश और बहिर्वेशन (मल्‍टीपल एंट्री एण्‍ड एग्जिट)

5) एकल-शाखा (स्‍ट्रीम) वाले एचईआई को बहु-ज्ञानानुशासनिक (मल्‍टी-डिसीप्‍लीनरी) संस्थानों में परिवर्तन

6) संयुक्‍त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी)

7) ऑनलाइन और ओडीएल शिक्षा

8) स्वयम् एवं मूक्‍स (MOOCs)

9) इंटर्नशिप/अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम

10) संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के लिए विदेशी एचईआई के साथ शैक्षणिक सहयोग

11) अंतर्राष्ट्रीय मामले कार्यालय

12) एलुमनी कनेक्ट सेल

13) उच्‍चतर शिक्षा में वैश्विक नागरिकता शिक्षा के लिए फ्रेमवर्क

14) उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठों की स्थापना

15) एक ही साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम चलाना/अध्‍ययन करना

16) व्‍यावसायिक प्रोफेसरों (प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस) की नियुक्ति 

17) स्नातकपूर्व कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क

18) पीएच.डी. डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं

19) एचईआई में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, संरक्षित वातावरण हेतु बुनियादी सुविधाओं के लिए तथाएचईआई में सुग्राहीकरण, नीति कार्यान्वयन, निगरानी और शिकायत निवारण हेतु महिला प्रकोष्‍ठ के लिए दिशानिर्देश

20) उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों के लिए अभिगम्‍यता संबंधी दिशानिर्देश और मानक

21) भारत 2.0में उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों में सामाजिक उत्तरदायित्व और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना 

22) महाविद्यालयों को स्वायत्त का दर्जा प्रदान करना और स्वायत्त महाविद्यालयों में मानकों के अनुरक्षण के लिए उपाय

23) राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क

24) भारत के उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों में शारीरिक तंदुरुस्‍ती, खेल, छात्रों का स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक उत्‍थान को बढ़ावा देना

25) भारतीय ज्ञान प्रणाली पर संकाय सदस्‍यों का प्रशिक्षण/अभिमुखीकरण

26) उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों में मातृभाषा/स्थानीय भाषा में शिक्षण

27) भारतीय विरासत और संस्कृति पर आधारित पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए दिशानिर्देश

28) उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में स्थानीय कलाकारों/कारीगरों को नामबद्ध करने के लिए दिशानिर्देश

29) राष्ट्रीय उच्‍चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (एनएचईक्यूएफ)

30) मूल्य प्रवाह 2.0 पर दिशानिर्देश - उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में मानवीय मूल्यों और व्यावसायिक नैतिकता का समावेशन

31) उत्साह पोर्टल- उच्‍चतर शिक्षा में परिवर्तनकारी रणनीतियाँ और कार्य करना

32) उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में लोकपाल की नियुक्ति

33) मानित विश्वविद्यालयों पर विनियम

34) भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) का पाठ्यचर्या में समावेशन

35) जीवन कौशलों2.0पर पाठ्यक्रम और दिशानिर्देश 

36) केंद्रीय विश्वविद्यालय संकाय चयन पोर्टल (सीयू-चयन)

37) मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम

38) दिव्यांगजनों को पढ़ाने और अधिगम-विशिष्टअक्षमताओं (एसएलडी) के लिए शैक्षणिक पहलुओं पर क्रेडिट-आधारित पाठ्यक्रम

39) भारत में विदेशी उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन

40) भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए स्‍थायी और जीवंत विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली

41)  एचईआई संस्‍थानों में सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एस ई डी जी) के लिए समान अवसर उपलब्‍ध कराने हेतु यूजीसी के दिशानिर्देश।

प्रत्येक पहल का विवरण निम्‍न प्रकार है:

1. एनईपी सारथी

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/1566510_SAARTHI-GUIDELINES.pdf

छात्रों की भागीदारी बढ़ाने और एनईपी 2020 में उल्लिखित उच्‍चतर शिक्षा प्रणाली के विभिन्न सुधारों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लक्ष्य के साथ, यूजीसी ने "एनईपी सारथी- भारत में उच्‍चतर शिक्षा में परिवर्तन लाने में अकादमिक सुधारों के लिए छात्र राजदूत" की घोषणा की है। इस पहल का उद्देश्य एनईपी 2020 के क्रियान्‍वयन में सक्रिय प्रतिभागियों के रूप में छात्रों को एक साथ लाना है। एनईपी सारथी के माध्यम से, यूजीसी का लक्ष्य एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देना है जहाँ छात्र यूजीसी द्वारा किए गए सुधारों को सार्थक रूप से समझ सकें। इस पहल के हिस्से के रूप में, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों, शिक्षा संस्थानों और महाविद्यालयों के कुलपतियों, निदेशकों और प्राचार्यों से अधिकतम तीन छात्रों को नामांकित करने का अनुरोध किया है जो एनईपी 2020 के तहत लाए गए सुधारों के बारे में जनजागृति फैलाने हेतु कार्यशालाओं, सेमिनारों और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करने में सहायक होंगे। छात्र राजदूतों से अपेक्षा की गई है कि छात्रों, संकाय सदस्यों, प्रशासकों और यूजीसी के बीच सार्थक संवाद स्थापित करने में सहायता करें। दिशानिर्देश 16 मई, 2023 को जारी किए गए थे। यूजीसी ने 262 उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों के 721 एनईपी सारथी को चुना है। एनईपी सारथी की सूची वेबसाइट https://www.ugc.gov.in/pdfnews/5606101_List-of-Nominated-NEP-Saarthis.pdf पर उपलब्‍ध की गई है।

2. एनईपी क्षेत्रीय समितियाँ

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक रोड मैप विकसित करने में विश्वविद्यालयों को सुविधा प्रदान करने हेतु, यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों और मानित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित पांच क्षेत्रीय समितियों का गठन किया है। समितियों के पाँच क्षेत्र/जोन हैं: उत्तर, उत्तर पूर्व और पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और मध्य क्षेत्र इस प्रकार हैं:

क्र. सं. क्षेत्र राज्‍य/ संघ राज्‍य क्षेत्र

1. उत्तर क्षेत्र हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली

        संघ राज्‍य क्षेत्र लद्दाख, संघ राज्‍य क्षेत्र चंडीगढ़

2. पश्चिम क्षेत्र

  गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, संघ राज्‍य क्षेत्र दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली

3. उत्तर पूर्व एवं पूर्वी क्षेत्र

  बिहार, झारखंड, असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, उड़ीसा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

4. मध्‍य क्षेत्र

  छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश

5.     दक्षिण क्षेत्र

  आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी, संघ राज्‍य क्षेत्र लक्षद्वीप

समिति उपरोक्‍त क्षेत्रों/जोन के एचईआई को एक साथ लाएगी और उच्‍चतर शिक्षा के गुणात्मक परिवर्तन के लिए विभिन्न पहलों को अंगीकृत करने में उनका मार्गदर्शन करेगी, एनईपी को लागू करने की रणनीतियों और उसमें आने वाली चुनौतियों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विचार-विमर्श करेगी। वे क्षेत्र में विभिन्न एचईआई द्वारा की गई पहलों और प्रगति को प्रलेखित करने और रिपोर्ट करने में भी मदद करेंगे। पश्चिमी क्षेत्र के कुलपतियों का पहला सम्मेलन 26 अक्टूबर, 2023 को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात में आयोजित किया गया था, जिसमें 200 से अधिक कुलपतियों और 600 से अधिक एनईपी समन्वयक/नोडल अधिकारियों ने भाग लिया था। इसके अलावा, उत्तरी क्षेत्र के कुलपतियों के सम्मेलन का आयोजन पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में किया गया, जिसमें 250 से अधिक कुलपतियों ने भाग लिया। तीसरा क्षेत्रीय सम्मेलन दक्षिणी क्षेत्र समिति द्वारा सस्त्रा विश्वविद्यालय, तंजावुर में आयोजित किया गया था जिसमें 300 से अधिक उपकुलपतियों ने भाग लिया था। चौथा और पांचवां सम्मेलन क्रमशः 2 फरवरी, 2024 को विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, मध्य प्रदेश और 23 फरवरी, 2024 को आईआईएम जम्मू, जम्मू में आयोजित किया जाएगा।

3. अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/9327451_Academic-Bank-of-Credicts-in-Higher-Education.pdf

पहला संशोधन: https://www.ugc.ac.in/pdfnews/5572622_Academic-Bank-of-Credits-Regulation.pdf

एनईपी 2020 लचीलेपन के सिद्धांतों पर आधारित है; ज्ञानानुशासनों, रचनात्मकता की वैचारिक समझ और आलोचनात्मक सोच, नैतिकता एवं मानवीय और संवैधानिक मूल्यों तथा जीवन कौशल के बीच कोई गहन भिन्‍नता नहीं है। तदनुसार, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) की स्थापना की गई है, जो छात्रों द्वारा अर्जित क्रेडिट को ध्यान में रखते हुए डिग्री/डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा/प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए एबीसी के पास पंजीकृत एचईआई के छात्रों द्वारा अर्जित अकादमिक क्रेडिट को डिजिटल रूप से संग्रहीत करेगा। एबीसी अकादमिक बैंक खातों को खोलने, बंद करने और सत्यापन, क्रेडिट सत्यापन, संचय (accumulation) और हस्तांतरण या मोचन (redemption) सुनिश्चित करेगा। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट पर विनियम 29.07.2021 को अधिसूचित किए गए थे और उनमें पुन: संशोधन किया गया ताकि सभी एचईआई के छात्रों को,एनएएसी स्थिति पर ध्‍यान दिए बिना, अकादमिक क्रेडिट बैंक खाते खोलने में सहायता प्राप्‍त हो सके। एक मील के पत्थर के रूप में, एबीसी ने 1693उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों से 6.15 करोड़ से अधिक छात्र पंजीकरण का आंकड़ा पार कर लिया है।

4. शैक्षणिक कार्यक्रमों में बहु प्रवेश और बहिर्वेशन

https://www.ugc.gov.in/e-book/GL%20Multipe%20Entry%20Exit/mobile/index.html

बहु प्रवेश और बहिर्वेशन का प्रावधान उन शिक्षार्थियों के लिए अत्‍यावश्यक लचीलापन और उचित बहिर्वेशन विकल्प प्रदान करता है, जो विभिन्न चरणों के दौरान अपनी पढ़ाई बंद कर देते हैं और उच्‍चतर स्तर पर शिक्षा प्राप्‍त करने ने के लिए फिर से प्रवेश लेना चाहते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को उसकी भावना के अनुरूप लागू करने की दिशा में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 29.07.2021 को "एचईआई में प्रदान किए जाने वाले शैक्षणिक कार्यक्रमों में बहु प्रवेश और बहिर्वेशन के लिए दिशानिर्देश" जारी किए। ये दिशानिर्देश डिग्री प्रदान करने वाले उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों के बीच या भीतर छात्रों कीनिर्बाध गतिशीलता का मार्ग प्रशस्त करेंगे और छात्रों को अपने अधिगम पथ को चुनने में सुविधा प्रदान करेंगे। ये दिशानिर्देशविभिन्‍नअध्ययन शाखाओं का रचनात्मक संयोजन प्रदान करके अकादमिक क्षेत्र की जटिल सीमाओं को पार करने में तथा बहु प्रवेश और बहिर्वेशनमेंभी सहायता करेंगे। येक्रेडिट संचय और उनके हस्तांतरण में तथा डिग्री प्रदान करने के लिए गैर-औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा का मूल्यांकन एवं सत्यापन करने में और आजीवन अधिगम को प्रोत्साहित करने में सुविधा प्रदान करेंगे। यह पहल शाखा-विशिष्‍ट विशेषज्ञता-आधारित अध्‍ययनों के अलावा, ड्रॉपआउट यानी पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की दर पर रोक लगाएगी, छात्रों को पाठ्यचर्या और नए पाठ्यक्रम विकल्पों में लचीलापन प्रदान करके जीईआर में सुधार करने,शिक्षार्थी द्वारा अर्जित क्रेडिटों के नकदीकरण में सुविधा प्रदान करेंगे जब वेअपने अध्‍ययन कार्यक्रमों को फिर से शुरु करें।

5. उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों का बहुविषयक संस्थानों में परिवर्तन

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/5599305_Guidelines-for-Transforming-Higher-Education-Institutions-into-Multidisciplinary-Institutions.pdf

उच्‍चतर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सभी विषय-शाखाओं में बहु-विषयक शिक्षा पर जोर दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए संस्थानिक पुनर्सरचना और समेकन पर जोर दिया गया है। बहु-विषयक शिक्षा शिक्षार्थियों को गहन कौशल विकसित करने और व्यापक दृष्टिकोण के साथ समस्याओं से निपटने के लिए तैयार करती है। इसका उद्देश्य शिक्षार्थियों में आलोचनात्मक सोच, बहुमुखी प्रतिभा, अनुकूलनशीलता, समस्या-समाधान क्षमता, लचीलापन, विश्लेषणात्मक कौशल और संचार विकसित करना है। एक समग्र और बहु-विषयक शिक्षा दृष्टिकोण भी अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करता है। बहु-विषयक शिक्षा के इस दृष्टिकोण को लागू करने की दिशा में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने "उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों को बहु-विषयक संस्थानों में बदलने के लिए दिशानिर्देश" 02.09.2022 को जारी किए थे। सभी उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों को सभी क्षेत्रों में बहु-विषयक और अंतर-विषयक शिक्षण और अनुसंधान प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

6. संयुक्‍त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी)

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/5196924_UGC-Letter-to-HEIs-regarding-CUET.pdf

सीयूईटी को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में मुख्य रूप से देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए शुरु किया गया था। सीयूईटी को राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एन टी ए) द्वारा संचालित किया जाता है। यूजीसी ने सभी एचईआई को 27.03.2022 को एक सार्वजनिक नोटिस भी जारी किया, जिसमें उन्हें अपने यूजी कार्यक्रमों में छात्रों के प्रवेश के लिए 2022-23 से सीयूईटी स्कोर को अंगीकृत करने और उपयोग करने के लिए आमंत्रित और प्रोत्साहित किया गया था। इससे छात्र परीक्षा देने के लिए विषयों का चयन कर पाएंगे, और प्रत्येक विश्वविद्यालय हर छात्र के विषयों के पोर्टफोलियो को देख सकेंगे तथाछात्रों की व्यक्तिगत रुचियों और प्रतिभाओं के आधार पर उन्‍हें कार्यक्रमों में प्रवेश दे सकेंगे। सीयूईटी अधिकांश विश्वविद्यालयों को इन संयुक्‍त प्रवेश परीक्षाओं का उपयोग करने में सहायता प्रदान करेगा - बजाय इसके कि सैकड़ों विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश परीक्षाएँ स्‍वयं तैयार एवं संचालित करें - जिससे छात्रों, विश्वविद्यालयों एवंमहाविद्यालयों और संपूर्ण शिक्षा प्रणाली पर बोझ काफी कम हो जाएगा।

वर्ष 2022 में,9.6 लाख छात्र सीयूईटी में बैठे, जबकि 2023 में छात्रों की संख्या बढ़कर 19.2 लाख छात्र हो गई थी। सीयूईटी 2022 में 90 विश्वविद्यालयों ने भाग लिया, जबकि सीयूईटी 2023 में 242 विश्वविद्यालयों ने भाग लिया।

7. ऑनलाइन और ओडीएल शिक्षा

https://deb.ugc.ac.in/notices/NewNotices

एनईपी 2020 में कल्पना की गई है कि डिजिटलीकरण शिक्षकों, छात्रों और अधिगम प्रक्रियाओं को नए और अभिनव रूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिसके परिणामस्वरूप सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आजीवन अधिगम के अवसर प्राप्त होंगे। इस संबंध में, यूजीसी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम और ऑनलाइन कार्यक्रम) विनियम, 2020 को 4 सितंबर, 2020 को अधिसूचित किया था। इसके अलावा, अच्छा प्रदर्शन करने वाले एचईआई को वांछित सकल नामांकन अनुपात (जीईआर)प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम प्रदान करने की अनुमति दी गई है।उच्‍चतर शिक्षा में एचईआई के लिए अभिगम्‍यता में सुधार और एक उपयुक्‍त वातावरण प्रदान करता है। ऑनलाइन शिक्षा में गुणवत्ता को कायम रखने के लिए, केवल एनएएसी और एनआईआरएफ पात्रता पर आधारित गुणवत्ता केंद्रित एचईआई को ऑनलाइन/ओडीएल कार्यक्रम प्रदान करने की अनुमति है।

8. स्वयं एवं मूक्‍स (MOOCs)

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/2682897_SWAYAM-Regulations-20-40percent.pdf

स्‍वयंम् यानी SWAYAM (युवा आकांक्षी प्रतिभाओं के लिए सक्रिय-अधिगम का अध्‍ययन वेब) का लक्ष्य समाज के सबसे वंचित लोगों सहित सभी को सर्वोत्तम शिक्षण और अधिगम संसाधनों को पहुंचाना है। इसका उद्देश्य उन छात्रों के लिए डिजिटल अंतराल को पाटना है जो डिजिटल क्रांति से अछूते रहे हैं। स्‍वयम् पाठ्यक्रम छात्रों की पाठ्यक्रमों की पसंद को बढ़ाते हैं। एक छात्र स्‍वयम् प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक सेमेस्टर में किसी विशेष कार्यक्रम में प्रदान किए जा रहे कुल पाठ्यक्रमों का 40% तक लाभ उठा सकता है और मेजबान संस्थान से अर्जित क्रेडिट को मूल संस्थान में स्थानांतरित करा सकता है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी शिक्षार्थी पीछे न छूटे, यूजीसी अपनी ई-कन्‍टेंट (23000+ पीजी टेक्स्ट + वीडियो)/स्वयम् मूक (उभरते क्षेत्रों में 137 पाठ्यक्रम); गैर-इंजीनियरिंग स्‍वयम् पाठ्यक्रम (27 पाठ्यक्रम)को ग्रामीण भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेती) के सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) / विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के एक पोर्टलयानी digitalseva.csc.gov.in के साथ 8 क्षेत्रीय भाषाओं के माध्‍यम से एकीकृत कर रहा है। 

अनूदित पाठ्यक्रम भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करेंगे और शिक्षार्थियों को मातृभाषा में पढ़ाई करने में लचीलापन प्रदान करते हुए भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देंगे।

9. इंटर्नशिप/अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/9105852_ugc-guidelines_ApprenticeshipInternship.pdf

भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए, न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक है, बल्कि इसे रोजगार के अवसर प्रदान करने के संदर्भ में भी प्रासंगिक बनाना आवश्यक है। अप्रेंटिसशिप/इंटर्नशिप के महत्व को समझते हुए और नए स्नातकों को आवश्यक ज्ञान, दक्षताओं और सकारात्‍मक दृष्टिकोण के साथ रोजगार के लिए तैयार करने के लिए, यूजीसी ने अगस्त 2020 में इंटर्नशिप/अप्रेंटिसशिप एंबेडेड डिग्री प्रोग्राम पर दिशानिर्देश जारी किए।

10. संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के लिए विदेशी उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों के साथ शैक्षणिक सहयोग

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/4555806_UGC-Acad-Collab-Regulations.pdf

एनईपी, 2020 के अनुरूप, यूजीसी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ट्विनिंग, संयुक्त डिग्री और दोहरी डिग्री कार्यक्रम प्रदान करने के लिए भारतीय और विदेशी उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग) विनियमों को 02.05.2022 को अधिसूचित किया। ये विनियम छात्रों को वैश्विक अनुभव, घर पर अंतर्राष्ट्रीयकरण, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक पाठ्यचर्या के साथ बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करेंगे और उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाएंगे। 60 से अधिक भारतीय विश्वविद्यालय दुनियाभर में विदेशी उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों के साथ सहयोग कर रहे हैं।

11. अंतर्राष्ट्रीय मामले कार्यालय

https://www.ugc.ac.in/e-book/IHE%20Guideline/mobile/index.html

उच्‍चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए दिशानिर्देश 29.07.2022 को जारी किए गए थे। एचईआई संस्‍थानों में अंतर्राष्ट्रीय मामले कार्यालय की स्थापना विदेशी छात्रों को सुविधा प्रदान करने और अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए संपर्क का एक एकल बिंदु है। यह कार्यालय विभिन्न गतिविधियों को निष्‍पादित करने के लिए जिम्मेदार होगा, जैसे कि विदेशी छात्रों के स्‍वागत एवं सहायता से संबंधित सभी मामलों में समन्‍वय करना। यह अंतर्राष्‍ट्रीय छात्रों को संस्‍थानों की अकादमिक एवं सामाजिक गतिविधियों में एकीकरण के लिए भी सहायता सेवाएं उपलब्‍ध कराएगा। 

12. एलुमिनी कनेक्‍ट प्रकोष्‍ठ

https://www.ugc.ac.in/e-book/IHE%20Guideline/mobile/index.html

उच्‍चतर शिक्षा के अंतर्राष्‍ट्रीयकरण के लिए दिशानिर्देशों में एलुमिनी कनेक्‍ट प्रकोष्‍ठ की स्‍थापना करने की भी परिकल्‍पना की गई है ताकि उनके साथ छात्रों के निरंतर जुड़ाव को कायम करने हेतु एलुमिनी (विदेशी छात्र और विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के छात्र) के साथ संपर्क बना रहे। 

13. उच्‍चतर शिक्षा में वैश्विक नागरिकता शिक्षा के लिए फ्रेमवर्क

https://www.ugc.ac.in/e-book/GCED1/mobile/index.html

यूजीसी ने उच्‍चतर शिक्षा में वैश्विक नागरिकता शिक्षा के लिए फ्रेमवर्क 07.12.2021 को जारी किया था। यह इस बात पर वैचारिक स्पष्टता प्रदान करता है कि उच्‍चतर शिक्षा संस्थान शिक्षण, शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान के माध्यम से छात्रों में वैश्विक नागरिकता की अवधारणा को कैसे समाहित करा सकते हैं। यह फ्रेमवर्क छात्रों को वैश्विक नागरिक बनने के लिए आवश्यक अपेक्षाओं, ज्ञान, कौशल और मूल्य प्रणाली पर इनपुट भी प्रदान करता है।

14. एचईआई में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्‍ठों की स्थापना

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/6347789_RDC-Guideline.pdf

एनईपी 2020में उच्‍चतर शिक्षा प्रणाली के भीतर गुणवत्ता अनुसंधान को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है। उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बढ़ाने के लिए अनुसंधान और नवाचार आवश्यक पहलू हैं। एचईआई सस्‍थानों में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्‍ठ (आरडीसी) की स्थापना से आत्म-निर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी और एनईपी 2020 में अनिवार्य बहु-विषयक / ट्रांस-डिसिप्लिनरी और ट्रांसलेशनल रिसर्च संस्कृति को उत्प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आरडीसी की स्थापना के लिए 14.03.2022 को दिशानिर्देश जारी किए थे। ये दिशानिर्देश आरडीसी की स्थापना के लिए, उसके उद्देश्यों और कार्यों के साथ एक स्पष्ट रोड मैप प्रदान करते हैं। आरडीसी उच्‍च अनुसंधान उत्पादकता के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाएगा;स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उद्योग, सरकार, समुदाय-आधारित संगठनों और एजेंसियों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करेगा तथा संसाधनों और वित्तपोषण के माध्यम से अनुसंधान तक अधिकाधिक पहुंच में सुविधा प्रदान करेगा। उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों में कुल 1495 (विश्वविद्यालय-266, महाविद्यालय-1229) अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्‍ठ स्थापित किये गये हैं।

15. एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रमों की पढ़ाई करना

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/5729348_Guidelines-for-pursuing-two-academic-programmes-simultaneously.pdf

औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा दोनों माध्‍यमों को शामिल करते हुए अधिगम के कई मार्गों को सुविधाजनक बनाने के लिए एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रमों की पढ़ाई करने हेतु दिशानिर्देश 13.04.2022 को जारी किए गए थे। दिशानिर्देशों का उद्देश्य शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक दोनों क्षेत्रों में, प्रत्येक छात्र के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों को सुग्राह्य बनाकर हर छात्र की अद्वितीय क्षमताओं को अभिज्ञानित करना, पहचानना और बढ़ावा देना है।

16.   व्‍यावसाय‍िक प्रोफेसरों (Professor of Practice) की नियुक्ति

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/9097019_Guidelines-for-Engaging-Professor-of-practice-in-Universities-and-Colleges.pdf

एचईआई संस्‍थानोंको उद्योग विशेषज्ञों और व्यावसायिकों से जुड़ने में एचईआई को सुविधा प्रदान करने हेतु, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों  में व्‍यावसायिक प्रोफेसरों (प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस) को नियुक्‍त करने के लिए दिशानिर्देश विकसित किए हैं ताकि उनके द्वारा अपने लंबे करियर में प्राप्त ज्ञान को छात्रों के साथ साझा किया जा सके। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और इच्छुक उम्मीदवारों के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में एक समर्पित पोर्टल भी शुरु किया है ताकि वेअपने लिए उपयुक्‍त नौकरियों व रिक्तियों की खोज कर सकें तथा उसके लिए आवेदन कर सकें। पीओपी पोर्टल पर 369 उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों ने पंजीकरण किया है।

 17.   स्नातक कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/7193743_FYUGP.pdf

स्नातक कार्यक्रमों के लिए पाठ्यचर्या और क्रेडिट फ्रेमवर्क एक समग्रतावादी और बहु-विषयक शिक्षा को लागू करने का एक टूल अर्थात साधन है। यह छात्रों को उनकी इच्छा के अनुसार चुने गए प्रमुख और लघु विषयों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करता है। यूजीसी द्वारा 12.12.2022 को इन दिशानिर्देशों की शुरुआत के साथ, विश्वविद्यालयों के पास चार वर्ष का स्नातक कार्यक्रम प्रदान करने का विकल्प है ताकि छात्र अपनी रुचि के अनुसार एक या उससे अधिक विशिष्ट क्षेत्रों का विस्‍तृत रूप से अध्ययन कर सकें और कई विषयों अर्थात विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी, भाषा के साथ-साथ व्यावसायिक, तकनीकी और व्यावसायिक विषयों में अपनी क्षमताएं भी विकसित कर सकें।

18. पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/0909572_Minimum-Standards-and-Procedure-for-Award-of-Phd-Degree.pdf

शोधार्थियों को सुप्रशिक्षित शोधकर्ता और जिज्ञासु खोजकर्ता बनाने हेतु  प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, यूजीसी ने पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए संशोधित न्यूनतम मानकों और प्रक्रियाओं पर 15.11.2022 को नए नियम प्रकाशित किए। इन प्रावधानों से चार वर्षीय स्नातक छात्रों को पीएचडी पाठ्यक्रमों में सीधे प्रवेश की सुविधा मिलेगी। प्रकाशन की अनिवार्य शर्त को,अनुसंधान और शिक्षण सहायता की अनुमति देते हुए हटा दिया गया है।

19.उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों में महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण और महिला प्रकोष्ठ  (सुग्राहीकरण, नीति कार्यान्वयन, निगरानी और शिकायत निवारण के लिए) के लिए आधारभूत सुविधाओं और साधनों हेतु दिशानिर्देश

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/6110248_CURRICULUM-FRAMEWORK-ENVIRONMENT-FOR-WOMEN-WOMEN-CELL.pdf

देशभर के सभी शैक्षणिक संस्थानों में सुरक्षित, संरक्षित और हिंसा मुक्त वातावरण विकसित करने की प्रतिबद्धता के साथ, यूजीसी ने 22.12.2022 को दिशानिर्देश प्रकाशित किए। ये दिशानिर्देश गुणवत्तापूर्ण बुनियादी सुविधाओं की सिफारिश करते हैं और महिलाओं के लिए "महिला प्रकोष्ठ" और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूती प्रदान करते हैं।एचईआई से व्यावसायिक काउंसलिंग सेवाएं, हेल्पलाइन नंबर, बुनियादी स्वच्छता और स्वच्छता सुविधाओं तक आसान पहुंच, परिसर के भीतर विश्वसनीय और सुरक्षित पारगमन, महिला सुरक्षा गार्ड, एम्बुलेंस सुविधा के साथ एक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र, सीसीटीवी कवरेज, छात्रावास, आंतरिक शिकायत समिति, यौन उत्पीड़न और लैंगिक आधारित भेदभाव के संबंध में शून्य-सहिष्णुता नीति उपलब्‍ध कराने की उम्मीद की जाती है। दिशानिर्देशलैंगिक सुग्राहीकरण सेमिनार, प्रतियोगिताएं, वाद-विवाद, लैंगिक-समावेशी पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने, व्यावसायिक कौशल और उद्यमिता विकास और महिलाओं के लिए छात्रवृत्ति आयोजित करने की भी सिफारिश करते हैं।

20.   उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों के लिए अभिगम्‍यता संबंधी दिशानिर्देश और मानक

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/8572354_Final-Accessibility-Guidelines.pdf

एनईपी 2020 में यह परिकल्पना की गई है कि आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता, समावेशन और समानता प्राप्त करने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिक उपाय है। यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र, सतत मूल्यांकन और छात्र सहायता प्रणालियों में अनुकूल परिवर्तन करके समावेशी प्रथाओं पर प्रकाश डालती है। तदनुसार, यूजीसी ने जून, 2022 में उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों के लिए अभिगम्‍यता संबंधी दिशानिर्देश और मानक प्रकाशित किए। दिशानिर्देशों का लक्ष्य एचईआई में दिव्‍यांगजनों के लिए प्रावधान करना और उन्हें सभी मामलों में उनकी सहज भागीदारी के लिए एक सुलभ वातावरण प्रदान करना है।

21.  भारत 2.0 में उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में सामाजिक उत्तरदायित्व और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना 

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4187860_Revised-Final-Guidelines.pdf

एनईपी 2020 की प्रमुख सिफारिशों को शामिल करने के लिए, यूजीसी द्वारा भारत 2.0 में उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में सामाजिक जिम्मेदारी और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने पर संशोधित दिशानिर्देश 29.12.2022 कोप्रकाशित किए गए थे। चूँकि दिशानिर्देश सामुदायिक सहभागिता और सामाजिक उत्तरदायित्व पर दो-क्रेडिट पाठ्यक्रम पढ़ाने की सिफारिश करते हैं, इसलिए यूजीसी ने उन्नत भारत अभियान के तहत समुदाय आधारित भागीदारी अनुसंधान के लिए मास्टर प्रशिक्षकों के रूप में संकाय के क्षमता निर्माण के लिए सात क्षेत्रीय केंद्रों को चिन्हित किया है।

ग्रामीण समुदायों में उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से, एनईपी  2020 का उद्देश्य कक्षा में प्राप्‍त ज्ञान को आधारभूत स्‍तर पर लागू करना है जिससे अधिगम की गुणवत्ता में सुधार आए। इस नीति में नए पाठ्यक्रम को शुरू करने और सामुदायिक सहभागिता के लिए मौजूदा पाठ्यक्रमों को अंगीकृत करने की भी सिफारिश की गई है। स्थानीय समुदाय के साथ छात्रों का जुड़ाव इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट और क्षेत्र अध्ययन के माध्यम से अधिगम के बेहतर अवसर प्रदान कर सकता है। दिशानिर्देश एनईपी 2020 की परिकल्पना के अनुसार अल्पकालिक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम विकसित करने, उन्हें मौजूदा पाठ्यक्रम में एकीकृत करने और स्थानीय समुदाय के साथ साझेदारी में ट्रांस-डिसिप्लिनरी अनुसंधान की संस्तुति करते हैं।

22.   महाविद्यालयों को स्वायत्त दर्जा प्रदान करना और स्वायत्त महाविद्यालयों में मानकों के अनुरक्षण के उपाय

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/0367475_UGC-(Conferment-of-Autonomous-Status-upon-Colleges-and-Measures-for-Maintenance-of-Standards-in-Autonomous-Colleges)-Regulations,-2023.pdf

एनईपी में, वर्तमान में किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों के लिए स्वायत्तता की परिकल्पना की गई है और यह सिफारिश की गई है कि वे अंततः स्वायत्त डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय बनें। यूजीसी ने एनईपी, 2020 की विभिन्न सिफारिशों को कार्यान्वित करने के अपने निरंतर प्रयासों में यूजीसी (महाविद्यालयों को स्वायत्त दर्जा प्रदान करना और स्वायत्त महाविद्यालयों में मानकों के अनुरक्षण के लिए उपाय) विनियम, 2023 को लागू किया है, जैसा कि 03.04.2023को  भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है।इन विनियमों में महाविद्यालयों को स्वायत्त दर्जा प्रदान करने के लिए एक सरल और पारदर्शी तंत्र का प्रावधान किया गया है। 

23.   राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ)

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/9028476_Report-of-National-Credit-Framework.pdf

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा में गतिशीलता और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए सामान्य शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करने पर जोर देती है। एनसीआरएफ, एक साम्‍यर्थकारी फ्रेमवर्क है जो अकादमिक, व्यावसायिक और अनुभवात्मक शिक्षा जैसे विभिन्न आयामों से अधिगम के क्रेडिट के आधारभूत सिद्धांतों को निर्धारित करता है। यह स्कूली शिक्षा, उच्‍चतर शिक्षा और व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के माध्यम से अर्जित क्रेडिट को निर्बाध रूप से एकीकृत करने के लिए एक एकल मेटा-फ्रेमवर्क है। यूजीसी ने 10.04.2023 को एनसीआरएफ शुरु किया था।

24.भारत के उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों में शारीरिक स्वास्थतता, खेल, छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक उत्‍थान को बढ़ावा देना

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/7223595_Guidelines-for-Promotion-of-Physical-Fitness-Sports-Students-Health-Welfare-Psychological-and-Emotional-Well-Being-at-Higher-Educational-Institutions-of-India.pdf

एनईपी 2020 में प्रावधान है कि छात्रों के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को सुनिश्चित करने हेतुसभी छात्रों के लिए सहायता केंद्र और करियर काउन्‍सेलर उपलब्ध कराए जाएंगे। दिशानिर्देशों में एक छात्र सेवा केंद्र (एसएससी) स्थापित करने की परिकल्पना की गई है, जो छात्रों, विशेष रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले, महिला छात्रों, विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के छात्रों और विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के तनाव और भावनात्मक सामंजस्‍य से संबंधित समस्याओं का समाधान करेगा।

दिशानिर्देशों का उद्देश्य छात्रों के लिए शारीरिक स्वास्थतता और खेल गतिविधियों को बढ़ावा देना और शैक्षणिक दबाव, साथियों के दबाव, संव्यवहार संबंधी मुद्दों, तनाव, करियर संबंधी चिंताओं, अवसाद और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर अन्य मुद्दों के विरुद्ध सुरक्षा उपाय का सृजन करना है। इसका उद्देश्य छात्रों के लिए एक सकारात्मक और सहायक नेटवर्क को बढ़ावा देते हुए छात्र समुदाय में सकारात्मक सोच और भावनाएं पैदा करना है।

 25.   भारतीय ज्ञान प्रणाली पर संकाय का प्रशिक्षण/अभिविन्यास

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/3746302_Guidelines-for-TrainingOrientation-of-Faculty-on-Indian-Knowledge-System-(IKS).pdf

एनईपी 2020 ने भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया है और शिक्षा के सभी स्तरों पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) को पाठ्यचर्याओं में एकीकृत करने की सिफारिश की है।यूजीसी ने 13.04.2023 को भारतीय ज्ञान प्रणाली पर संकाय के प्रशिक्षण/अभिविन्यास पर दिशानिर्देश जारी किएहैं। इंडक्शन प्रोग्राम (प्रवेशिका कार्यक्रम) और रिफ्रेशर पाठ्यक्रमों (पुनश्‍चर्या पाठ्यक्रम) के दौरान शिक्षक प्रशिक्षण के लिए ये दिशानिर्देश आईकेएस के विषय में संकाय को जानकारी प्रदान करने और उत्साहित करने तथा आईकेएस को उनकी विशिष्ट कक्षा शिक्षाओं में शामिल करने के लिए रणनीतियों की पहचान करने हेतु एक रोडमैप प्रदान करते हैं। शिक्षक और शिक्षार्थी भारतीय ज्ञान प्रणाली की अवधारणा से परिचित होंगे और ज्ञान की उन्नति और सृजन के लिए उक्‍त प्रणाली को रोजमर्रा के जीवन  में लागू करेंगे।

26.  उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में शिक्षण

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4926822_Letter-Translation-Guidelines.pdf

शिक्षा में भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देना और उनका नियमित उपयोग करना एनईपी का एक प्रमुखप्राथमिकताहै।स्थानीय भाषाओं में शिक्षण, अधिगम और मूल्यांकन किए जाने से छात्रों की संख्या और सकल नामांकन अनुपात में और सफलता दर में वृद्धि होगी। तदनुसार, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि छात्रों को क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने की अनुमति दें, भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो। इससे उच्‍चतर शिक्षा में जीईआर को 2035 तक 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयासों को महत्त्वपूर्ण रूप से मजबूती मिलेगी। पत्र में यह भी कहा गया है कि पाठ्यपुस्तकों को मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में लिखना और उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना आवश्यक है जिसमें अन्य भाषाओं से मानक पुस्तकों का अनुवाद भी शामिल है।

27.    भारतीय विरासत और संस्कृति पर आधारित पाठ्यक्रम आरम्भ करने के लिए दिशानिर्देश

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4923019_Final-Guidelines-for-the-introduction-of-courses-based-on-Indian-heritage-and-culture.pdf

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के अनुसरण में, जो भारतीय विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देती है, यूजीसी ने भारतीय विरासत और संस्कृति पर आधारित पाठ्यक्रमों को आरम्भ करने के लिए 08.05.2023 को दिशानिर्देश अधिसूचित किए हैं। उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों को भारतीय विरासत और संस्कृति के आधार पर बहु प्रवेश और बहिर्वेशन (मल्‍टीपल एंट्री एण्‍ड एग्जिट) से संगत अल्पकालिक बहु-स्तरीय क्रेडिट-आधारित मॉड्यूलर कार्यक्रमों की प्रदान करने के दिशानिर्देश दिए गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय शिक्षार्थियों को भारत की ओर आकर्षित करने के लिए पाठ्यक्रमों में सार्वभौमिक मानवीय मूल्य, वैदिक गणित, योग, आयुर्वेद, संस्कृत, भारतीय भाषाएँ, संगीत और शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ शामिल की जा सकती हैं। पाठ्यक्रमों को तीन अलग-अलग स्तरों: (1) प्रवेश स्तर, (2) मध्यवर्ती स्तर, और (3) उच्‍चतर स्तरपर प्रदान किया जा सकता है।प्रत्येक स्तर पर पाठ्यक्रम का सफल समापन होने पर, शिक्षार्थियों को उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा निर्दिष्ट प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।

28.  उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों में स्थानीय कलाकारों/कारीगरों को कलाकारों के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए दिशानिर्देश

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/9671561_Guidelines-for-Empanelment-of-Artists-Artisans-in-Residence-in-Higher-Education-Institutions.pdf

राष्ट्रीय शिक्षा नीति उच्‍चतर शिक्षा और कला (आर्ट्स) के बीच अंतर को पाटने पर जोर देती है। तदनुसार, यूजीसी ने 09.05.2023 को स्थानीय कलाकारों/कारीगरों को उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में कलाकारों के रूप में नामबद्ध करने के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित किए। इन दिशानिर्देशों में एचईआई के लिए यह प्रावधान किए गए हैं कि वे देश के भीतर उपलब्ध रचनात्मक प्रतिभा का दोहन करें और बौद्धिक संसाधनों का उपयोग करें जो शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाने, मजबूत करने और सुधारने के लिए औपचारिक रूप से उच्‍चतर शिक्षा प्रणाली से जुड़े हुए नहीं हैं। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य कलाकारों और एचईआई के साथ सहयोग करना है, ताकि शिक्षण, अनुसंधान और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में कुशल कला गुरुओं को शामिल करते हुए कला शिक्षा की एक प्रभावी संरचना नियमित रूप से विकसित की जा सके, जो कलात्मक अनुभव को पारंपरिक शिक्षा के साथ समाहित कर सके जिससे कि कला शिक्षा की संरचना के छात्रों के लिए उपयोगी एवं लाभदायक बन सके। इससे अनुभवात्मक और व्यावहारिक अधिगम प्रदान करने, अनुसंधान गतिविधियों में सहयोग करने और एक संरक्षक की भूमिका निभाने में कलाकारों की भागीदारी बढ़ाने में सहायता मिलेगी।  एचईआई में गुरु, परम गुरु औरपरमेष्ठी गुरुकी आवश्यकता के अनुसार नियुक्तिहोगी।

29.   राष्ट्रीय उच्‍चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (एनएचईक्यूएफ)

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/2990035_Final-NHEQF.pdf

एनईपी 2020 की प्रमुख सिफारिशों में से एक सिफारिश राष्ट्रीय उच्‍चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (एनएचईक्यूएफ) का प्रतिपादन करना है। यूजीसी ने 11.05.2023 को एनएचईक्यूएफ प्रकाशित किया जिसमें उच्‍चतर शिक्षा योग्यताओं का वर्णन किया गया है जिसके फलस्‍वरूप अधिगम परिणामों के आधार पर डिग्री/डिप्लोमा/प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे। यह भारत में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण और तकनीकी/व्यावसायिक शिक्षा सहित उच्‍चतर शिक्षा से जुड़े विभिन्न प्रकार के संस्थानों द्वारा दी जाने वाली डिग्रियों  को मान्‍यता देने और प्रत्यायित करने के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करेगा। एनएचईक्यूएफ 4.5 से 8 तक उच्‍चतर शिक्षा के स्तरों की  निरंतरता के साथ अर्हताओं की मान्यता, वर्गीकरण और विकास के लिए एक उपकरण है।

30.    मूल्य प्रवाह 2.0 पर दिशानिर्देश - उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में मानवीय मूल्यों और व्यावसायिक नैतिकता का अंतर्वेशन 

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/8799370_Mulya-Parvah_Guideline.pdf

एनईपी-2020 की प्रमुख सिफारिशों के अनुसार, यूजीसी द्वारा 12.05.2023 को उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में मूल्य प्रवाह 2.0-मानवीय मूल्यों और व्यावसायिक नैतिकता के अंतर्वेशन पर दिशानिर्देश जारी किए गए थे। ये संशोधित दिशानिर्देश न केवल मूल्य-आधारित वातावरण स्थापित करने के उद्देश्यों, परिणामों और रूपरेखा का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं, बल्कि उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में संबद्ध कार्यक्रम के संचालन, कार्यान्वयन, मॉनिटरिंग और सुदृढ़ीकरण का भी सुझाव देते हैं। इन दिशानिर्देशों में छात्रों को सभी के लिए एक न्यायसंगत और निष्पक्ष दुनिया बनाने में सहायता करने के लिए मानवीय मूल्यों और व्यावसायिक नैतिकता (मूल्य प्रवाह 2.0) को विकसित करने के लिए एक सांकेतिक पाठ्यक्रम का औचित्य भी सन्निहित है।

 31.  उत्साह पोर्टल

https://utsah.ugc.ac.in/

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उत्साह (UTSAH) (उच्‍चतर शिक्षा में परिवर्तनकारी रणनीतियाँ और कार्रवाइयां) नामक एक पोर्टल विकसित किया है। यह पोर्टल देश के उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के कार्यान्वयन और इसकी रणनीतिक पहलों का प्रभावी ढंग से पता लगाएगा और सहायता प्रदान करेगा।

प्रत्येक प्रमुख क्षेत्र के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPI) की पहचान की गई है, और इन KPI को प्राप्त करने के लिए लक्षित गतिविधियों का भी वर्णन किया गया है। एचईआई संस्‍थानों को एआईएसएचई कोड दिए गए हैं जिनका उपयोग करते हुएसभी एचईआई को पोर्टल पर लॉग-इन करना होगा और दस प्रमुख क्षेत्रों के तहत विभिन्न गतिविधियों पर जानकारी प्रस्तुत करनी होगी। उत्साह (UTSAH) पोर्टल पर कुल 1007 उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों ने पंजीकरण कराया है।

32.  उच्‍चतर शिक्षा संस्थानों में लोकपाल की नियुक्ति

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4675881_Regulation.pdf

एनईपी 2020 के हिस्से के रूप में, छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक सरल एवं प्रभावकारी तंत्र तैयार करने का प्रयास किया गया है, जिसके लिए यूजीसी ने 12 अप्रैल, 2023 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 लागू किया है। नए विनियमों में सभी उच्‍चतर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा छात्र शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) की स्थापना और विश्वविद्यालय स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। इन विनियमों की सहायता से, यदि छात्रों की शिकायतों का समाधान नहीं किया जाता है, तो वे समिति/लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं।

 33.  मानित विश्वविद्यालयों पर विनियम

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/2998278_University-Grants-Commission-(Institutions-deemed-to-be-Universities)-Regulations,-2023.pdf

यूजीसी ने मानित विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्‍त करने के इच्‍छुक संस्थानों हेतु मानित विश्वविद्यालय विनियमों को सरल बना दिया है। 'सरल एवं कठोर' (‘light but tight’) सिद्धांत के आधार पर, नए विनियम मानित विश्वविद्यालय का दर्जा चाहने वाले संस्थानों के लिए सुव्यवस्थित और सरलीकृत प्रक्रियाएं प्रदान करेंगे, जिससे स्वायत्तता और जवाबदेही के बीच संतुलन सुनिश्चित होगा। विनियम भारतीय संस्कृति और विरासत, कौशल विकास, खेल या भाषाओं जैसे उत्‍कृष्‍टविषय-शाखा में शिक्षण और अनुसंधान पर ध्यान देने के साथ "विशिष्ट संस्थानों" (“Distinct Institutions”) की एक नई श्रेणीको प्रस्तुत करते हैं। विनियम संस्थानों के एक समूह को मानित स्थिति के लिए आवेदन करने में सुविधा प्रदान बनाते हैं। विनियम 7 जून, 2023 को जारी किए गए थे।  

 34. पाठ्यचर्या में आईकेएस (IKS) का समावेशन

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/6436045_Guidelines-IKS-in-HE-Curricula.pdf

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देती है और शिक्षा के सभी स्तरों पर पाठ्यचर्या में आईकेएस को एकीकृत करके भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) के प्रवाह में किसी भी असंतुलन को दूर करने का प्रयास करती है। आधुनिक विषयों के साथ भारतीय पारंपरिक ज्ञान के निर्बाध एकीकरण के लिए, यूजीसी ने उच्‍चतर शिक्षा पाठ्यचर्या में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को शामिल करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। दिशानिर्देश संस्थानों को प्रोत्साहित करते हैं कि पूर्व स्नातक या स्नातकोत्तर कार्यक्रम में नामांकित प्रत्येक छात्र को आईकेएस में क्रेडिट पाठ्यक्रमों को लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जो कि उनके कुल अनिवार्य क्रेडिट के कम से कम पांच प्रतिशत हो। आईकेएस को आवंटित क्रेडिट का कम से कम 50% प्रमुख विषय से संबंधित होना चाहिए और प्रमुख विषय के लिए आवंटित किए गए क्रेडिट में जोड़ा जाना चाहिए। दिशानिर्देश 13 जून, 2023 को जारी किए गए थे।

 35. जीवन कौशल पर पाठ्यचर्या और दिशानिर्देश (जीवन कौशल) 2.0

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4371304_LifeSKill_JeevanKaushal_2023.pdf

जीवन कौशल (जीवन कौशल 2.0) के लिए पाठ्यचर्या और दिशानिर्देश 18 अगस्त, 2023 को प्रकाशित किए गए थे,जो एनईपी 2020 की सिफारिशों पर आधारित हैं। इन दिशानिर्देशों को छात्रों और संकाय दोनों की भागीदारी के लिए, छात्रों में जीवन कौशल विकसित करने और उन्‍हें प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरु किया गया है। आज की जटिल दुनिया में, संचार, व्यावसायिकता, प्रबंधन और नेतृत्व और सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों जैसे कौशल शिक्षार्थियों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

36.  केंद्रीय विश्वविद्यालय संकाय चयन पोर्टल (CU-CHAYAN)

https://curec.samarth.ac.in/index.php/search/site/index

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षण पदों के लिए एकीकृत भर्ती प्रणाली 2 मई 2023 को आरम्भ की गई थी। प्रणाली की अनन्य विशेषता में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक एकीकृत डैशबोर्ड शामिल है, जहां से वे किसी भी/सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आवेदन कर सकते हैं। यूजीसी और विश्वविद्यालय रीअल टाइम में प्राप्त आवेदनों को ट्रैक/निगरानी कर सकते हैं। आज तक, 47,000 से अधिक उम्मीदवारों ने पोर्टल पर अपनी प्रोफ़ाइल बनाई है और 1331 भर्तियाँ प्रकाशित की गई हैं।

37.   मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम

https://mmc.ugc.ac.in/

हमारी प्रणाली में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और हमारी शिक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए, यह उतना ही महत्वपूर्ण है कि हम अपने शिक्षकों को प्रशिक्षित करें और उनकी क्षमता निर्माण में योगदान दें। इस दृष्टिकोण को साकार करते हुए, यूजीसी ने एक पूर्णकालिक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है जिसे मालवीय मिशन प्रशिक्षण कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है। यह मानव संसाधन विकास केंद्र (एचआरडीसी) और पूर्ववर्ती पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन (पीएम-एमएमएनएमटीटी) केंद्रों की संगतता में है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले कुछ प्रशिक्षण कार्यक्रम ऑफ़लाइन होंगे, और कुछ ऑनलाइन होंगे। 5 सितंबर, 2023, को आरम्भ किया गयामालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य देशभर में फैले 111 मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से दो से तीन वर्षों में 15 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करना है।

38.दिव्यांगजनों और विशिष्ट अधिगम की अक्षमताओं (एसएलडी) वाले व्‍यक्तियों को शिक्षण प्रदान के लिए शैक्षणिक पहलुओं पर क्रेडिट-आधारित पाठ्यक्रम

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/0989282_Guidelines_for_Credit_Based_Course_on_Pedagogical_Aspects_for_Teaching_Divyangjans_Persons_with_Specific_Learning_Disabilities.pdf

एनईपी 2020 के आलोक में तैयार किए गए दिशानिर्देश दिव्‍यांग व्यक्तियों को शिक्षण प्रदान करने के शैक्षणिक पहलुओं पर केंद्रित हैं। इसका उद्देश्य दिव्‍यांग छात्रों को मुख्य, वैकल्पिक और कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों का चयन करने तथा दिव्‍यांगता और पाठ्यचर्या के आधार पर शिक्षण की प्रक्रिया एवं प्रारूप मेंलचीलापन प्रदान करना है। दिशानिर्देश में उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों में विविध शिक्षण आवश्यकताओं वाले छात्रों की पहुंच बढ़ाने और उनका मूल्यांकन करने के लिए नवीनतम तकनीक और शिक्षाशास्त्र के बारे में भी वर्णन किया गया है।

 39.भारत में विदेशी उच्‍चतर शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना एवं संचालन

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/Setting%20up%20and%20Operation%20of%20Campuses%20of%20Foreign%20Higher%20Educational%20Institutions%20in%20India.pdf

भारत में विदेशी उच्‍चतर शिक्षण संस्थान के परिसरों की स्थापना  करनें में सुविधा प्रदान करने हेतु विनियम 8 नवंबर, 2023 को जारी किए गए थे। भारतीय उच्‍चतर शिक्षा और भारतीय छात्रों को एक अंतर्राष्ट्रीय आयाम प्रदान करने के उद्देश्य से, इस विनियम में पात्रता, आवेदन प्रक्रिया, छात्रों को प्रवेश, संकाय और कर्मचारियों की भर्ती, सामान्य शर्तों और स्पष्टीकरण के साथ रूपरेखा दी गई है। यह विनियम उन शिक्षण संस्‍थानों को भारत में उत्कृष्ट विशेषज्ञता के साथ परिसर स्थापित करनेका अवसर प्रदान करता है जो समग्र रूप से और विषय-वार वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष 500 विदेशी उच्‍चतर शिक्षण संस्थानोंमें शुमार हैं।

40.भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए सतत और जीवंत विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली पर दिशानिर्देश

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4915310_Sustainable-and-Vibrant-University-Industry-Linkage-System.pdf

एनईपी 2020 का लक्ष्य नवोन्‍मेष, रोजगारपरकता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच एक सहज सेतु बनाना है। यूजीसी ने 9 जनवरी, 2024 को भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए सतत और जीवंत विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली पर दिशानिर्देश जारी किए। अनुसंधान एवं विकास समूहों का निर्माण, किसी विश्वविद्यालय/संस्थान/महाविद्यालय में उद्योग संबंध कक्ष (आईआरसी) का निर्माण, किसी उद्योग में विश्वविद्यालय संबंध प्रकोष्ठ (यूआरसी) का निर्माण, उद्योग-शैक्षणिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कुछ प्रमुख कदम हो सकते हैं। 

41. एचईआई संस्‍थानों में सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एस ई डी जी) के लिए समान अवसर उपलब्‍ध कराने हेतु यूजीसी के दिशानिर्देश

https://www.ugc.gov.in/pdfnews/2540260_SEDGs-Guidelines.pdf

एनईपी 2020 के प्राथमिक लक्ष्‍यों में से एक है, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) के छात्रों की सहभागिता और उनके जीईआर को बढ़़ाना। यूजीसी ने एचईआई में सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसडीजी) के लिए समान अवसर उपलब्‍ध कराने हेतु दिशानिर्देश 19 जनवरी 2024 को जारी किए। इन दिशानिर्देशों से ब्रिज कोर्स, शिक्षा प्राप्‍त करने के साथ-साथ आय अर्जन, और आउटरीच कार्यक्रम के माध्‍यम से एसईडीजी समूहों के छात्रों के लिए गुणवत्ता शिक्षा की समान अभिगम्‍यता में सुधार लाने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा, दिशानिर्देशों से एचईआई संस्‍थानों के परिसरों में समावेशी, स्‍वास्‍थ्‍यकारी, सुरक्षित एवं संरक्षित वातावरणों के लिए एसईडीजी समूहों हेतु बुनियादी सुविधाओं एवं व्‍यवस्‍थाओं की सुनिश्चितता होगी। दिशानिर्देश शिक्षण संस्‍थानों को सभी हितधारकों के सुग्राहीकरण, नीति कार्यान्‍वयन, निगरानी, समावेशी गुणवत्ता उच्‍चतर शिक्षा हेतु समान अभिगम्‍यता, छात्रों के आत्‍म-सम्‍मान की सुनिश्चितता, नैतिक एवं संवैधानिक मूल्‍यों को बढ़ावा देने, और एचईआई संस्‍थानों में शिकायत निवारण के प्रयोजनार्थ एसईडीजी प्रकोष्‍ठ स्‍थापित करने में प्रोत्‍साहन मिलेगा।

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