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13वे सी.ओ.पी. - सी.एम.एस. संयुक्त राष्ट्र के महासम्मेलन में डॉ. सज्जाद उल अकबर वानी ने पर्यवेक्षक के रूप में शिकरत की

 



उज्जैन। प्रवासी पक्षियों और जंगली पशुओं के संरक्षण हेतु विभिन्न दलों के सम्मेलन की कांफ्रेंस की 13वीं बैठक गत दिवस (दि. 21 फरवरी 2020) को गुजरात की राजधानी गांधीनगर गुजरात में सम्पन्न हुई। बैठक में सम्पूर्ण विश्व में प्रवास करने वाले पक्षियों के संरक्षण तथा उनके समक्ष उपस्थित खतरों की समस पर कई महत्त्वपूर्ण ठहराव तथा निर्णयों पर चर्चा की गई। सी.एम.एस. कॉप 13 सम्मेलन भारत के इतिहास का सबसे विशाल सम्मेलन था, जिसमें 82 दलों, गै-दलीय देशों के 11 प्रतिनिधि, युनाइटेड नेशन्स की एजेन्सियों के 50 प्रतिनिधि, अतर्राष्ट्रीय एन.जी.ओ. के 70 प्रतिनिधि राष्ट्रीय एन.जी.ओ.के. 127 प्रतिनिधि तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के 100 सदस्यों को मिलकार 263 प्रतिनिधियों सहित कुल 2250 व्यक्तियों ने भाग लिया। इस बृहदाकार सम्मेलन की विषय वस्तु थी कि प्रवासी नस्लें धरती को एक दूसरे देशों से जोड़ती है तथा उनके पुनरागमन का हम अभिनंदन करते हैं।


कांफ्रेंस के ठहराव के अनुसार 13 नई नस्लों के पशु-पक्षियों को सघन सुरक्षा पर निर्णय करते हुए उन्हें सूचीबद्ध कर जोड़ा गया। आगामी 3 वर्षों तक भारत इस कांफ्रेंस का मेजबान रहेगा। अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने वन्य प्राणियों के अस्तित्व को भारती प्रकृति का भाग बताते हुए आव्रजक पक्षियों को संरक्षित रखने की बात कही।



इस कान्फ्रेंस में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की ओर से पर्यावरण तथा वन्य प्राणी संरक्षण आदि विषयों के गहन अध्येता तथा विद्वान प्रवक्ता व शोधकर्ता डॉ. सज्जाद-उल-अकबर वानी ने पर्यवेक्षक के रूप में शिकरत की।  




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