तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ के तत्वावधान में रतलाम के शीतल तीर्थ में राष्ट्रीय जैन विद्वत सम्मेलन में देश भर से पधारे 50 विद्वानों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया उज्जैन। तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ के तत्वावधान में रतलाम के शीतल तीर्थ में राष्ट्रीय जैन विद्वत सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति का स्वरूप समावेशी है और यह विश्व बंधुत्व की पक्षधर है। स्वामी विवेकानंद ने इसे विश्व की सर्वेश्रेष्ठ संस्कृति माना और उसके विविध पक्ष आम जनता को बेहद सरलता से बताए। आपने कहा कि अध्यात्म और विज्ञान से ज्ञान की परंपरा जुड़ती है। उन्होंने कहा कि उज्जैन में तपोभूमि जैन तीर्थ की लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों से मैंने जैन धर्म को गहराई से जाना। आपने कहा कि विक्रम विश्विद्यालय में आचार्य विद्यासागर पीठ की स्थापना से जैन धर्म मे कोर्स चालू करने के लिए जैन धर्म के प्रो अनुपम जैन जैसे विद्वान के सहयोग की जरूरत है। जैन ग्रंथों के प्रकाशन की भी योजना है। स्वागत देवी अहिल