माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह के अवसर पर उपराष्ट्रपति के भाषण का मूलपाठ
नमस्कार! आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुझे कितना अच्छा लग रहा था कि विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों, उनके विद्वान शिक्षकों, अभिभावकों के बीच में आकर। आखिर में तो पराकाष्ठा हो गई जब तीनों के तीनों मेडल बालिकाएं लें गई। आपके सांसद मुझसे कह रहे थे कि बाज़ी उन्होंने मार ली जिनका हक था। मेरी धर्मपत्नी भी इस बात से काफी प्रसन्नचित है। मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए मैं आप सभी का बहुत आभारी हूं। जो मैंने दुनिया और देश में कहीं देखा नहीं है, उसको देखकर में और भी अभिभूत हूं। पारंपरिक परिधान और अंगवस्त्र में भारत के उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, चारों दिशाओं की झलक देखने को मिलती है। यह देश के लिए बहुत बड़ा सार्थक संदेश है और दुनिया को G20 आयोजन में इसकी झलक देश के 58 शहरों के 200 बैठकों में मिली है। विदेशी मेहमान अभिभूत थे, उनके लिए यादगार पल थे। पर शैक्षणिक जगत में ऐसा होना कि मेरे को एक संदेश मिले कि आपका ड्रेस कोड भारतीय है, मुझे बहुत अच्छा लगा, सदा याद रखूंगा। Hon'ble Vice-President, Shri Jagdeep Dhankhar at