कंप्यूटर विज्ञान संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय का हृदय : कुलपति
उज्जैन : जिस प्रकार से मानव शरीर में ह्रदय का महत्वपूर्ण स्थान होता है वैसा ही स्थान विक्रम विश्वविदयालय में कंप्यूटर विज्ञान संस्थान का है । योजनाओं के प्रारूपण व क्रियान्वयन में कंप्यूटर विज्ञान संस्थान अहम् योगदान प्रदान करता है । भविष्य में बायोटेक्नोलॉजी एवं कंप्यूटर विज्ञान विषय का समावेश कर विद्यार्थियों को समाजुपयोगी खोज करनी चाहिए । विश्वविद्यालय भविष्य में विद्यार्थियों के लिये रोजगारन्मुखी शोध पर कार्य करेगा । उक्त कथन कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कंप्यूटर विज्ञान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में कही ।
विगत दिवस बसंत पंचमी पर आयोजित “आत्मनिर्भर विश्वविद्यालय की ओर कंप्यूटर विज्ञान की भूमिका” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ वाग्देवी के पूजन से किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह ने उद्बोधन में कहा कि संस्थान में विद्यार्थियों के विकास हेतु 10 विभिन्न महत्त्वपूर्ण प्रकोष्ठों की स्थापना की गयी है जिनमे, एन्त्रप्रेंयूर्शिप सेल, ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल, आईपीआर सेल, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल, आईटी सेल, इंडस्ट्री व इंस्टीट्यूट लिंकेज सेल, स्किल डेवलपमेंट सेल, अल्युमनी सेल, ऑनलाइन सेल व काउंसलिंग सेल शामिल है ।
आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के अनुरूप स्थापित विभिन्न प्रकोष्ठों में अकादमिक एवं कौशल उन्नयन से सम्बंधित गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। संस्थान में संचालित समस्त पाठ्यक्रमों को वैल्यू एडिशन किया गया है। जिसके अंतर्गत डिग्री के साथ सर्टिफिकेट प्रदान किये जाएँगे । रोजगारन्मुखी 62 पाठ्यक्रम प्रारंभ किये गए है।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बसंत-पंचमी तिथि के महत्व को बताते हुए माँ सरस्वती के वाग्देवी एवं नदी रूप के बारें में विस्तार से समझाया ।
कार्यक्रम की अवधारणा श्री कमल बुनकर ने रखी। कार्यक्रम के कोर्डिनेटर डॉ. ब्रह्मदत्त शुक्ला रहे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री प्रज्ञा सिंह तोमर ने किया।
आभार – प्रदर्शन डॉ. रामजी यादव ने माना ।
कुलपतिजी द्वारा संस्थान परिसर में शिक्षकों व विद्यार्थियों सहित वृक्षारोपण किया गया । वृक्षों की सुरक्षा के लिए संस्थान के शिक्षकों द्वारा वृक्षों को गोद लिया गया ।
संस्थान के शिक्षक डॉ. लोकेश लद्धानी ने वृक्षों की सुरक्षा हेतु अपने स्वर्गीय पिता श्री दयाल लद्धानी जी की स्मृति में 10 ट्री गार्ड प्रदान किये ।
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