लोकमाता अहिल्याबाई भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रतीक थीं: श्री इन्दर सिंह परमार लोकमाता रानी अहिल्याबाई की दृष्टि राष्ट्रव्यापी थी: श्री इन्दर सिंह परमार भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में लोकमाता अहिल्याबाई की त्रिशताब्दी जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय शोध सम्मेलन का उद्घाटन माननीय श्री इन्दर सिंह परमार, मंत्री – उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष विभाग द्वारा किया गया। श्री परमार ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई स्वयं भारतीय ज्ञान परंपरा की जीवंत प्रतीक थीं। उन्होंने मंदिरों का पुनर्निर्माण, धार्मिक स्थलों का संरक्षण, लोक-शिक्षा का विस्तार और समाज कल्याण को अपना जीवन समर्पित किया। लोकमाता रानी अहिल्याबाई की दृष्टि राष्ट्रव्यापी थी। कार्यक्रम में बीज वकतव्य देते हुए श्री हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई का जीवन “बिंदु से विराट व्यक्तित्व” बनने को चरितार्थ करता है। अहिल्याबाई होल्कर दिव्य अवतार ना होकर भी उनमें अवतार वाली प्रतिभा और गुण थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कैप्टन मीरा सिद्धार्थ दवे ने की, उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई एकमात्र शासिका थी जिन्हे...