राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा वृक्षारोपण से पर्यावरण की सुरक्षा एवं कोरोना का बचाव के सन्दर्भ में काव्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ। आभासी संगोष्ठी की मुख्य अतिथि राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव ने कहा कि कोरोना के काल में ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता रही यदि हम ऑक्सीजन निर्माता वृक्ष लगायेंगे तो पर्यावरण शुद्ध भी रहेगा। संगोष्ठी की मुख्य वक्ता डॉ. ममता झा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा की श्रेष्ठतम परिणति काव्य है। इसलिए कविता को मानवता की मातृभाषा कहा गया है। काव्य रचना करते समय नये वस्तु-रूप और काव्योपयोग के प्रति गहरी जागरूकता और सजगता की आवश्यकता होती है। जीवन-यथार्थ, सवेंदनात्मक उद्देश्यों और रचनाशीलता पर ध्यान देना चाहिए। हर एक की कलम अलग है, हर एक का मुहावरा अलग है, हर एक की मानसिकता और मनःस्थिति अलग है, हर एक शब्द और भाषा उसी पर निर्भर करता है, इसलिए अभिव्यक्ति अलग, अतः पहचान भी अलग। नई कविता, छायावाद, छायावदोत्तर कविता के इतिहास में प्रगतिवाद, प्रयोगवाद जैसे अभिधान स्वीकृत हो चुके हैं । वैयक्तिक और सामाजिक जीवन-संदर्भों में मोहभंग के कारण नयी कविता में छाय