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कश्मीर के डॉ. सज्जाद-उल-अकबर वानी को पर्यावरण संरक्षण व कृषि नवाचार में मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान


छतरपुर / कश्मीर -  कश्मीर के युवा वैज्ञानिक और पर्यावरण शोधकर्ता डॉ. सज्जाद-उल-अकबर वानी ने राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान स्थापित की है। पीएचडी स्कॉलर, गोल्ड मेडलिस्ट और UNO अवॉर्ड विजेता डॉ. वानी को कश्मीर में पर्यावरण संरक्षण, कृषि नवाचार और सतत खेती के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए विशेष रूप से सराहा जा रहा है।

कृषि वैज्ञानिक, पर्यावरण शोधकर्ता और प्रगतिशील किसान के रूप में डॉ. वानी का काम कश्मीर की कृषि व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में नई दिशा देता है।

शैक्षणिक व संस्थागत जुड़ाव

डॉ. वानी ने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में शोध और अकादमिक कार्य किए हैं, जिनमें शामिल हैं—

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी, विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन, विनायक मिशन यूनिवर्सिटी, सेलम , मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU), हैदराबाद, शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (SKUAST-K) वे SKUAST-K से एक एग्रीप्रेन्योर इनक्यूबेटर और रिसर्च स्कॉलर के रूप में भी जुड़े रहे हैं।


पर्यावरण संरक्षण में विशेष योगदान.....

डॉ. सज्जाद वानी का महत्वपूर्ण शोध कश्मीर की वेटलैंड्स में प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों के प्रजनन रिकॉर्ड स्थापित करने से जुड़ा है। उनके शोध ने अंतरराष्ट्रीय संरक्षण मंचों का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने माइग्रेटरी स्पीशीज़ के संरक्षण (CMS COP-13) पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में सक्रिय भागीदारी की है और कश्मीर की पारिस्थितिकी पर महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किए हैं।

सतत खेती और इको-फ्रेंडली कार्यों के प्रेरक डॉ. वानी कश्मीर में..... ऑर्गेनिक खेती, जल संरक्षण, मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन, पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों

को बढ़ावा देने वाले अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक माने जाते हैं। उनकी मेहनत ने कई किसानों को आधुनिक और जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया है।

डॉ. सज्जाद वानी सम्मान और पहचान के मोहताज नही है ।

UNO से सम्मानित होने के बाद डॉ. सज्जाद-उल-अकबर वानी को कश्मीर के पर्यावरण योद्धा और कृषि नवाचार के युवा वैज्ञानिक के रूप में सराहना मिली है। वे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं और कश्मीर में सतत विकास की दिशा में एक मजबूत आवाज़ बनकर उभरे हैं।डॉ. वानी का उद्देश्य है—कश्मीर की प्रकृति, कृषि और संसाधनों को वैज्ञानिक शोध, जागरूकता और नवाचार के माध्यम से सुरक्षित रखना।

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