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साहस, स्वाभिमान एवं दृढ़शक्ति - कार्यकुशलता के धनी लौहपुरूष सरदार बने - श्री अरोरा

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारतीय ज्ञानपीठ माधवनगर  में भारत के पूर्व गृहमंत्री भारतरत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की150 वीं जयंती पर  सरदार वल्लभ भाई पटेल का व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता लेखक, व्यंग्यकार डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का धन्यवाद साधुवाद देता हूं कि उन्होनें सरदार वल्लभ भाई पटेल जिसके लिए आपने भारतीय ज्ञानपीठ से अच्छा कोई स्थान नहीं है, सरदार पटेल जी के पावन स्मृति को प्रणाम करता हूं। वल्लभ का अर्थ कृष्ण अर्थात् जिससे सब प्रेम करे, जो सबके आकर्षण का केन्द्र है । जब महात्मा गांधी का निधन हुआ उससे 2 माह बाद ही सरदार पटेल जी को पहला हार्ट अटेक आया था। वे दृढ़निश्चयी अपने इरादो में दृढ़ थे, उनके इसी साहस, स्वाभिमान दृढ़ कार्यकुशलता के कारण ही उनको लौहपुरूष कहा गया। आंदोलन में सफलता के दौरान महिलाओं द्वारा उन्हें सरदार शब्द से सम्बोधित किया था। तभी से पूरा देश सरदार पटेल बोलता आया है।

मुख्यअतिथि म.प्र. लेखक संघ जिलाध्यक्ष डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने उपस्थित श्रोताओं को लाख-सवा लाख से भी मूल्यवान बताया। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी है इसमें डॉ. प्रभु चौधरी जी के अथक परिश्रम का परिणाम बताया। सरदार वल्लभ भाई पटेल के अमूल्य चित्रों की प्रदर्शनी जिसमें उनके बचपन से लेकर आखिरी समय तक का चित्रण किया है इस प्रदर्शनी को 7 दिवस तक दर्शनीय रखना चाहिए। आपने कहा कि सब कुछ पूर्व निश्चित है। सरदार पटेल जी को आज उनकी गुणवत्ता के कारण याद किया जा रहा है।

समारोह के संयोजक डॉक्टर प्रभु चौधरी ने अपनी प्रस्तावना में बताया कि एकता दिवस पर देश की एकता एवं अखंडता के लिए सरदार पटेल के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा हम सब लोग एकता समरसता के लिए एकत्रित होकर राष्ट्र को आगे बढ़ाएं  । सरदार पटेल ने निडरता के साथ वह सभी काम किया जो आवश्यक थे भारत की आन बान और शान से राष्ट्र के सपूत  पटेल देश के हित में अनेक महान कार्य किये है ऐसे महान व्यक्ति का देश सदैव ऋणी रहेगा।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरविन्द जैन ने कहा कि हमारा देश 531 रियासतों का देश पूर्व  में था।इस महापुरूष ने भारत को बचा लिया। दंगे नहीं होते तो पूरा पाकिस्तान हमारा होता। सरदार पटेल ने कहा था कि अगर विभाजन हो रहा है तो देश की जनसंख्या का भी बंटवारा होना चाहिये। जो जिस मजहब को पालने वाले उसी देश के नागरिक रहे। विनम्र शब्दों में सरदार पटेल और उनके प्रशंसको , अनुयायियों को नमन करता हूं।

राष्ट्रीय संरक्षक समारोह अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि सरदार पटेल की भूमिका सबको एक करने की थी। पटेल जी ने एकता का काम किया। अगर देश की आजादी के पहले अगर वह जिद पर अड़ जाते तो एक धब्बा लग जाता। लेकिन उन्होने ऐसा नहीं होने दिया। एकता वही है जहा आज हमे ऐसे सोचना चाहिए, हर व्यक्ति देश के लिए सोचते है और करते भी हैं। हमें अपने-अपने स्थान पर देश हित में कार्य करते रहना चाहिए।।

समारोह के पूर्व अतिथियों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल मेमोरियल सोसायटी की चित्र प्रदर्शनी का भारतीय ज्ञानपीठ के सद्भावना सभागृह में अवलोकन किया व सराहा। 

समारोह के शुभारम्भ में अतिथियों ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया एवं सरदार पटेल व श्री कुलश्रेष्ठ जी को सूत्र की माला पहनाई। अतिथियों का स्वागत एवं भाषण राष्ट्रीय संयुक्त सचिव सुंदरलाल मालवीय ने दिया। भारतीय ज्ञानपीठ महाविद्यालय में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय संरक्षक श्री ब्रजकिशोर शर्मा को सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर शाल एवं अभिनंदन पत्र, स्मृति चिन्ह प्रदान किया। साथ ही नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक डॉ. श्यामलाल चौधरी को अतिथियों ने शाल पहनाकर सम्मानित किया।  सरस्वती वंदना डॉ. शीला व्यास ने प्रस्तुत की एवं अतिथि परिचय डॉ. अंजना जैन ने दिया समारोह का सफल संचालन एवं आभार प्रदेश महासचिव रंजना पांचाल ने किया। 

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