रानी लक्ष्मीबाई पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया
सर्वप्रथम सरस्वती वंदना की प्रस्तुति डॉ. संगीता पाल राष्ट्रीय सचिव ने दी। स्वागत भाषण डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने दिया। प्रस्तावना रजनीप्रभा राष्ट्रीय सचिव ने प्रस्तुत की । विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव ने अपने उद्बोधन में कहा कि काशी की जन्मी रानी लक्ष्मीबाई को मनु के नाम से प्रसिद्ध रही है। 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजो से मुकाबला किया। झांसी एंतिहासिक नगर है।
मुख्य वक्ता डॉ. सुनीता मंडल ने अपने उद्बोधन में कहा कि रानी लक्ष्मीबाई ने 29 वर्ष में ऐतिहासिक राष्ट्रसेवा में समर्पित होकर अमर हो गई। दूरदर्शी एवं कुशाग्र बुद्धि की बालिका रही। छबीली नाम से प्रसिद्ध देवी ने बचपन में शस्त्र चलाना सीखा। पति गंगाधर की मृत्यु पश्चात् राज्य शासन रानी देवी शक्ति की अवतार भी मानी जाती है। असाध्य वीणा को कभी बजायी नहीं जाती परन्तु वह वाणी बजी तो सभी राजा, रानी, सेवको को अलग-अलग आवाज सुनी। स्त्री का सौन्दर्य के साथ-साथ वीरता, साहस से रानी को मर्दानी मानी जाती है। महिलाओं में होसला बढ़ाने के लिये कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की कविता खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसीवाली रानी थी।
मुख्य अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि शौर्य, त्याग एवं बलिदान की भारतीय परम्परा रही है। समस्त महापुरूषो ने देश के लिये समर्पण किया। इनको मानव से महामानव बनाया। आक्रान्ताओं की चुनातियों को स्वीकार करते हुए झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने साहस के साथ युद्ध किया। भारत की आजादी में सर्वस्व न्योछावर होने से शहीद होने से इतिहास में महत्व बढ़ जाता है। रानी की वीरता से भारत कृतज्ञ है। जीवन में आजादी को महत्व दिया। आपने देश की आजादी में अनेक मातृशक्ति को बताते हुए समस्त वीरांगनाओं के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते है।
अध्यक्षीय भाषण डॉ. हरिसिंह पाल(महामंत्री नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली) ने बताया कि भारत पुरूषो एवं महिलाओं का देश की आजादी में समान योगदान रहा है। महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बहुत पहले से विद्यमान है। बच्चो की प्रथम गुरू के रूप में संस्कार, शिक्षा, सामाजिक कार्य सिखाती है। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजो के छक्के छुडाये जिससे तुलसाबाई, बेगम हजरत आदि वीरांगना रही है। संत गंगादास ने रानी लक्ष्मीबाई का अन्तिम संस्कार अपनी झोपड़ी में किया।
राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का संचालन डॉ. रश्मि चौबे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इकाई महिला ने एवं आभार डॉ. अरूणा सराफ प्रदेश महासचिव इन्दौन ने माना।
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