उज्जैन - स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षाओं को लेकर विक्रम विश्वविद्यालय ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। परीक्षा संबंधी सभी प्रक्रियाएं एमपी ऑनलाइन स्टूडेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम लिंक (एसआईएस लिंक) से करवाई जाएगी। कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी जिलों के शासकीय और निजी महाविद्यालयों में अध्ययनरत स्नातक अंतिम वर्ष और स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर के संबंधित विद्यार्थियों को vikram.mponline.gov.in के पोर्टल पर स्टूडेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम लिंक में जाकर 21 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। जो विद्यार्थी रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे, वह परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे।
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्
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