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विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का साहस  दे रहे हैं रचनाकार – प्रो शर्मा 


राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा कोविड-19 संकट के दौर में राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी आयोजित

 

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना संस्था, उज्जैन द्वारा कोविड-19 संकट के दौर में एक राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों के कवियों ने अपनी आशाजनक और जिजीविषा से भरी रचनाएं सुनाईं। आयोजन की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। प्रो शर्मा ने कहा कि कोविड-19 संकट के दौर में रचनाकार विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का साहस दे रहे हैं। विश्व सभ्यता के सामने आज कठिन चुनौतियाँ मौजूद हैं। इस दौर में रचनाकार जहां कोविड-19 की रोकथाम के लिए कविताओं के माध्यम से जागरूकता ला रहे हैं, वही विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष के लिए जन समुदाय के मध्य उत्साह और प्रेरणा के स्वर भर रहे हैं। कोविड-19 ने अनायास ही मनुष्य को अपनी जीवन शैली पर पुनर्विचार का मौका दे दिया है।

 

राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी की शुरुआत में सरस्वती वंदना गुवाहाटी, असम की कवयित्री श्रीमती दीपिका सुतोदिया ने की। प्रारंभ में आयोजन की रूपरेखा संस्था अध्यक्ष डॉक्टर प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की। दिल्ली के वरिष्ठ कवि श्री राकेश छोकर ने सत्य को जानने दो  रचना के माध्यम से जागृति का संदेश दिया। मुंबई की वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती सुवर्णा जाधव ने समझौता शीर्षक रचना सुनाई। 


 

बरेली, उत्तर प्रदेश  की रचनाकार डॉ शालिनी शर्मा  ने अपनी  रचनाओं के माध्यम से  जीवन से जुड़े प्रश्नों  को अभिव्यक्ति दी। प्रियंका द्विवेदी, इलाहाबाद ने अतिथि शीर्षक कविता सुनाई। पायल परदेसी, महू की रचना  जिंदगी तुझसे बात करने का मन करता है ने बहुत दाद बटोरी। डॉ रश्मि वार्ष्णेय, मुंबई  और  श्री जितेंद्र पांडे, नई दिल्ली ने भी अपनी सरस रचनाओं से प्रभाव छोड़ा।

 

राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी का संचालन गुवाहाटी, असम की कवयित्री श्रीमती दीपिका सुतोदिया ने किया। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से परस्पर सद्भाव और बंधुत्व का संदेश दिया। आभार श्रीमती सुपर्णा जाधव मुंबई ने माना।



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